मानसिक स्वास्थय जारुकता
आबादी के लगभग १० प्रतिशत लोग मनोरोग से ग्रसित हैं । मानसिक रोग साध्य है (Mental Disease Is Curable)।
उच्चत्तर गुणवत्ता की नवीनतम एवं प्रभावकारी दवाओं से संभव हुआ । इसकी यथोचित जांच-इलाज हेतु मनोचिकित्सकीये परामर्श अपेक्षित है । मनोरोग के शुरूआती लक्षणों मे घबराहट , बेचैनी ,असहज होना ,भूख नहीं लगना , नींद नहीं आना , मायूस होना , बेवजह भय – भ्रम एवं शंका का शिकार होना , असहाय एवं असुरक्षित महसूस करना , जीवन बेकार एवं दुनिया ख़राब लगना ,दुखी रहना ,निराश होना या बेवजह अधिक खुश होना , अधिक बोलना , भ्रामक एवं बड़ी बड़ी बातें करना तथा अधिक खर्च करना , जिद्दी , गुस्सैल ,आक्रोशित एवं आक्रामकता , यादाश्त एवं एकाग्रता की कमी , कार्यक्षमता का ह्रास होना , एकांतवासी एवं आत्महत्या की प्रवृति ,एक ही काम को बार बार दोहराना , अपने आप बुदबुदाना , अकारण अपने आप हंसना – रोना , काल्पनिक आवाजों एवं दृश्यों का अनुभूति होना , तनाव , सिरदर्द ,चक्कर आना एवं बेहोशी का दौड़ा पड़ना , मृगी -हिस्टेरिया , मादक पदार्थ सेवन एवं नशाखोरी जनित मनोविकार , साइको-सेक्सुअल समस्याएं ,द्वंद-दुविधा ,विचार विकृति एवं नकारात्मक सोच वगैराह पाए जाते हैं । इसके अलावे विभिन्न मोनोरोग की विशिष्ट लक्षणों एवं उसके अन्य असंगत व्यावहार-विचार विसंगतियों से मनोचिकित्सक को अवगत करावें । शारीरिक व्याधि की भाँती मानसिक स्वास्थय पर भी ध्यान दें । मनोरोगी को ज़ंजीर से बांधना अपराध है ।
डॉ० प्रो० उपेन्द्र पासवान
प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष ,मनोचिकित्सक